अनुठा मिलन: मित्र के हाथों सम्मानित होकर भीगी पलकें, नशे और मृत्यु भोज त्यागने का किया आह्वान

 

 अनुठा मिलन: मित्र के हाथों सम्मानित होकर भीगी पलकें, नशे और मृत्यु भोज त्यागने का किया आह्वान

अनुठा मिलन: मित्र के हाथों सम्मानित होकर भीगी पलकें, नशे और मृत्यु भोज त्यागने का किया आह्वान


स्नेह मिलन का यह अद्भुत नजारा जोधपुर जिले की ओसियां तहसील के मतोड़ा गाँव का है। जहां वर्षों बाद मिले सहपाठी सुरताराम लोहार का छोगाराम बांगड़वा ने साफ़ा पहनाकर सम्मान किया। सम्मान पाकर सुरताराम गदगद हो उठे और उनकी पलकें भीग आई।

छोगाराम व सुरताराम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक साथ ग्रहणी की। छोगाराम पढ़-लिखकर शिक्षक बने वहीं सुरताराम नाच-गाने वाली मंडलियों के साथ जाने लगे और उसी में रमकर रह गए।


कल जब सुरताराम शिक्षक छोगाराम के घर आए तो पुरानी स्मृतियां ताजा हुई, हाल-चाल जाने और सम्मान किया। बातें अपनी भी हुई और वर्तमान पीढ़ी की भी, इस दौरान सुरताराम ने जीवन के अनुभव साझा किए।

अपने समय के हष्ट पुष्ट कबड्डी खिलाड़ी सुरताराम को 55 वर्ष की उम्र में बुढ़ापे की ढलान की और अग्रसर देख मित्र ने वहज पुछी‌ तो उत्तर सुनकर छोगाराम स्तब्ध रह गए।


पहले मित्र-मंडली के साथ आते-आते नाच-कुद के लिए कोई न कोई अम्ल/अफीम दे देते। धीरे-धीरे इसे आदी हुए, खुद खरीद कर खाने लगे। शरीर के साथ धन भी खर्च‌ होता गया। परिजनों की मृत्यु पर झूठी शान व दिखावे में अपनी जमीन चली गई। उस वक्त जमीन की उपयोगिता समझ नहीं आई। अब ढलती उम्र के साथ वर्तमान पीढ़ी में नशे के अत्यधिक सेवन और मृत्यु भोज की मेहमा ‌को देखकर दुःख होता है। युवा पीढ़ी नशे और मृत्यु भोज त्याग करें तो बेहतर होगा। ये कुरुतियां‌ जीवन में बर्बादी की दास्तां लिखती न की समृद्धि की।

सुरताराम लुहार


छोगाराम पेशे से शिक्षक है और शिक्षक का धर्म समाज में जागृति लाना है। अपने शिक्षक होने का धर्म निभाते हुए आपने नशे और मृत्यु भोज के दुष्परिणामों सामने रख लोगों से नशे और मृत्यु भोज का त्याग करने का आह्वान किया है।


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