क्यों जरूरी है तिलहनी फसलों में जिप्सम

 क्यों जरूरी है तिलहनी फसलों में जिप्सम 

क्यों जरूरी है तिलहनी फसलों में जिप्सम
क्यों जरूरी है तिलहनी फसलों में जिप्सम 



तिलहनी फसलों में मूंगफली, सोयाबीन, तारामीरा तिल, सूरजमुखी आदि बहुतायत से उगाई जाती है। तिलहनी फसलों में गंधक की पूर्ति के लिए जिप्सम एक बहुत ही उपयोगी उर्वरक है। इसमें 20 प्रतिशत गंधक होता है गंधक अमीनो एसिड तथा प्रोटीन निर्माण में सहायक होता है, जिससे तेल की प्रतिशत मात्रा बढ़ती है। यह पत्ती के हरेपन के निर्माण में सहायक होता है, जिसमें पौधों में भोजन निर्माण अधिक होने से उपज में वृद्धि होती है तथा सरसों के तेल की गुणवत्ता एवं उपज दोनों में सुधार होता है।


गंधक की मात्रा होती है. इसमें साधारण तौर पर पाये आने वाले जिप्सम में 20 प्रतिशत कैल्सियम तथा 15-16 प्रतिशत गंधक पाई जाती है। अन्य गंधक उर्वरकों की अपेक्षा जिप्सम अधिक लाभप्रद है। जिप्सम में गंधक के साथ-साथ कैल्सियम भी पाया जाता है, जिससे पौधों की वृद्धि अच्छी होती है। क्षारीय मृदा में जिप्सम डालने पर भूमि का पी. एच. मान कम हो आता है जिससे भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ जाती है और आवश्यक खनिज तत्व भी मिल जाते हैं। इससे भूमि में सुधार भी होता है। जिप्सम की मात्रा से मृदा में प्राप्त गंधक की मात्रा बढ़ाई जा सकती है। जिसम डालने का तरीका यह है कि यह देलों के रूप में मिलता है, इन्हें तोड़कर बारीक कर ले फिर खेत में समान रूप से दें तथा 10 से.मी. की गहराई तक अच्छी तरह मिलाकर दें। इसका खड़ी फसल में भी उपयोग किया जाता है। जिप्सम के लाभ मृदा सधनता को कम करना जीवाश खाद के साथ जिप्सम के प्रयोग से मृदा मुलायम हो जाती है, जिससे जुताई में असानी होती है और फसल अच्छी होती है।

    इन्हें भी पढ़ें:

    मृदा में पर्याप्त मात्रा में गंधक होने से पौधों के जड़ों का विकास अच्छा होता है गंधक के सभी महत्त्वपूर्ण कार्यों के कारण तिलहनी फसलों में इसका उपयोग अधिक किया जाता है। गंधक की पूर्ति गंधक पाउडर डालकर भी किया जा सकता है लेकिन जिप्सम का प्रयोग सर्वोत्तम है। भारत में पाई जाने वाली जिप्सम की मात्रा राजस्थान के बीकानेर, नागौर तथा हनुमानगढ़ क्षेत्र में है। जिप्सम अन्य गंधक उर्वरकों की अपेक्षा सस्ता एवं असानी से उपलब्ध होता है। शुद्ध जिप्सम बढ़ाता है।

    मुदा क्षरण एवं जल अपवाह कम करना जिप्सम तेज प्रवाह के विरूद्ध सुरक्षात्मक कार्य करता है, जिससे मुदा क्षरण भी नियंत्रित होती है। मृदा संगठन में सुधार: जिप्सम जड़ वृद्धि को एवं मृदा में वायु तथा पानी का संचार बढ़ाता है।


    0/Post a Comment/Comments

    Stay Conneted

    अपनी खबरें इस ईमेल पते पर भेजें : info@jhalkobikaner.com | अपनी खबरें इस ईमेल पते पर भेजें : info@jhalkobikaner.com